जब से तुम गए,
सारे सपने हमारे बेरंग हो गए,
पाना था हमें प्यार की मंजिल,
पर बिच सफर में तुम खो गए,
जब से तुम गए,
सारे सपने हमारे बेरंग हो गए,
इस झूठी दुनिया में,
किस पर ऐतबार करूं,
तुमसे न कोई दिखता है ,
किस से मैं प्यार करूं,
आरज़ू थी ख़्वाबों के हमारे,
हर पल साथ रहूं मैं तुम्हारे,
किस्से अपने प्यार की
हर वक़्त से कहूं,
बहुत चुप मैं रहा,
अब बेचैनी क्यों सहूं,
इल्तेज़ा है धड़कनो की,
तेरे दिल में रहूं तेरे बाहों में ही मरूं ,
जब भी खुद को तनहा पाता हूँ,
आईने के पास जाता हूँ,
आँखों में अपनी तुम्हारी शक्ल पाता हूँ,
कुछ इस तरह अपनी तन्हाई मिटाता हूँ,
हद हो गयी मोहब्बत की इन्तहा भी
बस दो कदम ही तो चले थे,
इस भरी दुनिया में तुम कहाँ खो गए,
जब से तुम गए
हम बेरंग हो गए
© समरजीत सिंह