फासले ऐसे भी होंगे

फासले ऐसे भी होंगे कभी सोंचा न था,
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था,

वो की खुसबू की तरह फैला था मेरे चार सु ,
मैं उसे महसूस कर सकता था छू सकता न था

Ghalib Ki Gazlen

ग़ालिब की ग़ज़लें हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत,कहते हैं ग़ालिब का अंदाज़-ेए-बयां और मिर्ज़ा ग़ालिब उर्दू …

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चाहत

चाहत ऐसी की कुछ मैं जानू न ,बहते धड़कनों के साथप्यार का सागर और भी गहरा हुआ , …

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