झुकी नज़रें
क्यों बैठे हो इस तरह नज़रें झुका कर, देख तो ज़रा इधर, तेरे सामने आ बैठा हूँ …
क्यों बैठे हो इस तरह नज़रें झुका कर, देख तो ज़रा इधर, तेरे सामने आ बैठा हूँ …
सुकून है बस तेरे ही पनाहों में, चाहे हो तेरी यादें या फिर तेरी बाहों में,, बिस्तर की …
समय के हाथों इतना मजबूर है कोई, सालों खुद से कितना दूर है कोई, परेशानियां बहुत है पर …
क्यों ऐसी कोई बात होती है क्यों ऐसी कोई जज्बात होती है, होते जब तुम नहीं पास क्यों …
दूर हूँ तुझसे तेरे एहसास से नहीं, सुन नहीं सकती हूँ तेरी आवाज़ मैं, पर कैसे भूलूँ , …
आज हर शाम सूनी है, शहनाई बन कर बोलती है तन्हाई, फ़िज़ाओं के रंग सारे खो गए, रात …
मर्कज़ खाली बैठा है तेरे इंतज़ार में ,
बढ़ते जा राह पर जैसे हो कोई तकसिर,,
दम समझे वो भी कितना है इस मुफ़लिस के प्यार में ,
अंगारों पे चल के जिसने बदल दी अपनी तक़दीर।।
क्या
जिस तरह तुम हमें याद आते हो ,
मैं उस तरह तुम्हे याद आता हूँ ?
बुझे जब भी शाम-ऐ- महफ़िल की शमा,
क्या मैं तुम्हे दिख जाता हूँ?
दूर हूँ तुझसे
तेरे एहसास से नहीं,
सुन नहीं सकती हूँ तेरी आवाज़ मैं,
पर उसकी कैसे भूलूँ ,
वो सारी बातें,
वो महकती रातें..
प्यार करके तुझसे, हमने ये जाना है, बहुत मुश्किल अब तुम बिन ज़िंदा रह पाना है, मत करे …