कोई तरीका

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अगर तुम्हें पता है, 

बताओ हमें कोई तरीका तुम्हे भूलने की,

मेरे खत को पढ़ 

वो तेरा आँखों का भर जाना,

सीढ़ियों से उतर आ छत पर जाना ,

याद आता है हमें वो ज़माना और 

सिलसिला खिड़कियों का बंद और खुलने की,

 अगर तुम्हें पता है 

बताओ हमें कोई तरीका तुम्हे भूलने की,

लब सिले रहे ,

दिल में दबे रहे हज़ारों एहसास,

जतन किये थे बहुत,

साँसे धड़के आस पास,

मौका दिया होता काश हमने खुद को संभलने की,

अगर तुम्हें पता है 

बताओ हमें कोई तरीका तुम्हे भूलने की,

मौका नहीं दूंगा तुम गलत हो,

दुनिया ये कहे,

तुम्हारे होकर भी तुम्हारे न रहे,

मैं करूँगा कोशिश मगर तुम भूल जाना,

कहानी थी जो दिल के मचलने की,

अगर तुम्हें पता है 

बताओ हमें कोई तरीका तुम्हे भूलने की,

— समरजीत सिंह

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