फासले ऐसे भी होंगे
फासले ऐसे भी होंगे कभी सोंचा न था,
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था,
वो की खुसबू की तरह फैला था मेरे चार सु ,
मैं उसे महसूस कर सकता था छू सकता न था
फासले ऐसे भी होंगे कभी सोंचा न था,
सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था,
वो की खुसबू की तरह फैला था मेरे चार सु ,
मैं उसे महसूस कर सकता था छू सकता न था
अदीम हाशमी एक उर्दू के मशहूर शायर थे। आपका जन्म 1 अगस्त 1946 को भारत के फिरोजपुर में …
मुझ में मेरा अब कुछ न रह गया है, मेरा सब कुछ तेरा हो गया है, साँसे मेरी …
जब से तुम गए,
सारे सपने हमारे बेरंग हो गए,
पाना था हमें प्यार की मंजिल,
पर बिच सफर में तुम खो गए,
तुम्हारे लबों की जादूगरी हम आज जान पाएं हैं, ये बात किसी से न कहने की उनसे हम …
क्यों बैठे हो इस तरह नज़रें झुका कर, देख तो ज़रा इधर, तेरे सामने आ बैठा हूँ …
दूर हूँ तुझसे तेरे एहसास से नहीं, सुन नहीं सकती हूँ तेरी आवाज़ मैं, पर कैसे भूलूँ , …
मर्कज़ खाली बैठा है तेरे इंतज़ार में ,
बढ़ते जा राह पर जैसे हो कोई तकसिर,,
दम समझे वो भी कितना है इस मुफ़लिस के प्यार में ,
अंगारों पे चल के जिसने बदल दी अपनी तक़दीर।।
क्या
जिस तरह तुम हमें याद आते हो ,
मैं उस तरह तुम्हे याद आता हूँ ?
बुझे जब भी शाम-ऐ- महफ़िल की शमा,
क्या मैं तुम्हे दिख जाता हूँ?