मुझ में मेरा अब कुछ न रह गया है,
मेरा सब कुछ तेरा हो गया है,
साँसे मेरी धड़कन तुम्हारी,
नींद हमारी अब ख्वाब तुम्हारा हो गया है,
मुझ में मेरा अब कुछ न रह गया है,
मेरा सब कुछ तेरा हो गया है,
वक़्त बेरहम,
कुछ न सुन सका दिल की बातें,
बेबस मन अब बेचारा हो गया है,
खामोश यूँ वो रहता ,
पर दूर से मुझे वो तकता है,
शायद ही पता हो उसको
ख़ामोशी उसकी
मुझको सब कुछ कह गया है,
मुझ में मेरा अब कुछ न रह गया है,
मेरा सब कुछ तेरा हो गया है,
खुद को खो कर तुमको पाया ,
ये ही मेरी ज़िन्दगी का शरमाया,
आँखें कहती है हमारी
यादों में बस तेरा चेहरा रह गया है
मुझ में मेरा अब कुछ न रह गया है,
मेरा सब कुछ तेरा हो गया है,
© समरजीत सिंह