क्या ऐसा तुम्हे होता है
क्या
जिस तरह तुम हमें याद आते हो ,
मैं उस तरह तुम्हे याद आता हूँ ?
बुझे जब भी शाम-ऐ- महफ़िल की शमा,
क्या मैं तुम्हे दिख जाता हूँ?
क्या
जिस तरह तुम हमें याद आते हो ,
मैं उस तरह तुम्हे याद आता हूँ ?
बुझे जब भी शाम-ऐ- महफ़िल की शमा,
क्या मैं तुम्हे दिख जाता हूँ?
ये जो चंद साँसे मेरे सीने में धीमी गति से चल रही है, तुम्हारे होने के लिए मचल …