सुकून है बस तेरे ही पनाहों में,
चाहे हो तेरी यादें या फिर तेरी बाहों में,,
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बिस्तर की सिलवटों से पता चला है,
तू सोया है या फिर,
गुजरी है तेरी रात आहों में,,
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अब के बरस,
फिर क़यामत जागेगी सावन के महीने में,
Title 3
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दिखेंग़े अंगारे
दिखेंग़े अंगारे
बरसेंगे मौसम जिन राहों में,
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उन पर ही कभी किसी रहनुमा ने
किसी राहगुजर को उसकी मंजिल बताई थी,
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और उस मुसाफिर ने मानो,
पल दो पल में ही अपनी हयात पाई थी,
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आज
अरसा है बीता,
बरसा कर आँखों से दरिया
इस कदर है वो जीता
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Title 2
मानो इश्क़ शामिल हो गया है गुनाहों में,
Title 2
सुकून है बस तेरे ही पनाहों में,
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