मांगी है मुराद ,
आज फिर कई दिनों के बाद ,
खुदा से,
तन्हाई से थोड़ी ख़ामोशी ली है उधार,
सोंच के साथ तुम्हारे ख्याल मिला कर,
आसमा से कहा है पहली बार,
उसे बुला दो सिर्फ तुम एक बार,,
कई चाँद रात बिना चाँद के गुजर गए,
कई फूल बिना तुम्हारी खुशबु लिए टूट कर बिखर गए ,
मेरे यादों के मौसम में लौट आने दो फिर से बहार,
सोंच के साथ तुम्हारे ख्याल मिला कर,
आसमा से कहा है पहली बार,
उसे बुला दो सिर्फ तुम एक बार,,
मांगी है मुराद ,
आज फिर कई दिनों के बाद ,
खुदा से,
हक़ीक़त की ज़हान में,
हर अरमान पुरी होते मिले,
अब हर फूल तुम्हारी खुशबु समेट
अपनी बाहों में खिले,
हो अब हर आरज़ू हमारी साकार ,,
सोंच के साथ तुम्हारे ख्याल मिला कर,
आसमा से कहा है पहली बार,
उसे बुला दो सिर्फ तुम एक बार,,
© समरजीत सिंह